चन्द्रगुप्त और मगध साम्राज्य की स्थापना
मगध का प्रथम साम्राज्य मौर्यवंश था । इसकी स्थापना 321 ई.पू. में मगध में हुई थी । इसका संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य था । चंद्रगुप्त मौर्य को इस काम में चाणक्य ( दूसरा नाम कौटिल्य ) नामक एक ब्राह्मण ने सहायता की । चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखी , जिसमें शासन चलाने के उपायों का उल्लेख है । चंद्रगुप्त मोरिय वंश में पैदा हुआ था । माना जाता है कि आरंभ में वह मगध राज्य में एक सिपाही था । मगध पर उस समय नंदवंश का शासन था । इस वंश के पास अपार धन और बड़ी सेना थी । परंतु , इस वंश का अंतिम राजा धननंद बहुत क्रूर और अत्याचारी था । इस अत्याचार से तंग आकर चंद्रगुप्त मौर्य मगध की सेना तथा राज्य छोड़कर उत्तर - पश्चिम की ओर चला गया , जहाँ उसकी मुलाकात चाणक्य से हुई ।
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चाणक्य का नंद - दरबार में अपमान किया गया था । इस अपमान का वह बदला लेना चाहता था । उसने चंद्रगुप्त को नंदवंश का अंत करने के लिए प्रेरित किया । दोनों ने मिलकर एक सेना बनाई और मगध पर चढ़ाई कर दिया । धननंद की हार हो गई और मगध पर चंद्रगुप्त मौर्य का अधिकार हो गया । उसने मौर्यवंश की स्थापना की । मौर्य साम्राज्य की स्थापना से कुछ समय पहले यूनान के महान सम्राट सिकंदर ने उत्तर - पश्चिम भारत में छोटे - छोटे राज्यों की आपसी फूट का लाभ केउ उठाकर उनको जीत लिया था ।
उसने पंजाब को भी जीता था । चन्द्रगुप्त ने सिकंदर के सेनापति सेल्युकस पर हमला किया और सिकंदर के द्वारा जीते गए भारतीय भूभाग को वापस ले लिया ।
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