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भारत में मुग़ल वंश के संस्थापक : बाबर,हुमायु,अकबर Founder of Mughal dynasty in India: Babur, Humayun, Akbar

   भारत में मुग़ल वंश के संस्थापक : बाबर,हुमायु,अकबर  Founder of Mughal dynasty in India: Babur, Humayun, Akbar

                                                   


 न 1526 में बाबर ने भारत पर आक्रमण किया । उस समय से दिल्ली पर अफगान सरदार इब्राहीम लोदी का शासन था । माना जाता है कि लोदी के घमंडी स्वभाव के कारण अन्य अफगान सरदार उससे असंतुष्ट थे । पंजाब , सिंध , मालवा , गुजरात , बंगाल आदि प्रांतों के सूबेदार स्वतंत्र शासकों की तरह शासन कर रहे थे तथा आपस में लड़ते रहते थे । इब्राहीम लोदी का चाचा , सरदार उससे असंतुष्ट थे । बंगाल आदि प्रातों के सूबेदार स्वतंत्र शासको आलम खाँ , असंतुष्ट अफगान सरदारों की सहायता से दिल्ली की गद्दी पर बैठने का प्रयास कर रहा था । मेवाड़ ( राजस्थान ) का शासक राणा संग्राम सिंह ( राणा सांगा भी दिल्ली पर अधिकार करना चाहता था । बिहार लोहानी अफगानों के अधीन था । इस समय भारत में राष्ट्रीयता तथा एकता की भावना का अभाव था तथा राजनीतिक स्थिति कमजोर थी । असंगठित राष्ट्र होने के कारण बाबर को 1526 में भारत पर आक्रमण करते समय कोई कठिनाई नहीं हुई । बाबर का वास्तविक नाम जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर था । बारह बाद वह फरगना काशासक बना । वर्ष की उम्र में पिता की मृत्यु शासक बनने पर उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा । उजबेगो ( एक मंगोल जाति ) के आक्रमण के कारण उसे फरगना छोड़ना पड़ा । वर्षों तक इधर - उधर भटकने के बाद 1504 में उसने काबुल पर अधिकार कर लिया । इसके बाद उसने कई प्रदेशो पर अधिकार किया , किंतु ये सफलताएँ अस्थायी सिद्ध हुई । भारत पर उसने कई बार चढ़ाई की । 1526 में पानीपत के मैदान में उसने इब्राहीम लोदी को हराकर भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की । इस युद्ध के परिणामस्वरूप दिल्ली तथा आगरा पर बाबर का अधिकार हो गया । पानीपत के युद्ध के पश्चात बाबर ने मेवाड़ के शासक राणा सांगा के साथ युद्ध किया । 1527 में खनवाँ के मैदान में बाबर को विजय प्राप्त हुई । इस हार से राजपूतों का दिल्ली पर शासन करने का सपना हमेशा के लिए समाप्त हो गया । खनवाँ के युद्ध के बाद बाबर ने अन्य भारतीय शासकों के साथ अपनी युद्ध - नीति को जारी रखा । उसने चंदवार , इटावा और रापड़ी के शासको को हराया । चंदेरी के शासक , मेदिनी राय , को हराकर 1528 में उसके किले पर अधिकार कर लिया । पूर्वी प्रांतों के अफगान सरदारो के साथ भी बाबर ने युद्ध किया । इन सरदारों ने बाबर की प्रभुता के विरुद्ध विद्रोह किया । 1529 में घाघरा की लड़ाई में बाबर ने बंगाल तथा बिहार के अफगान सरदारों को हराया । इस प्रकार , विभिन्न युद्धों में जीत हासिल कर बाबर ने सिंधु नदी से बिहार तक तथा हिमालय से ग्वालियर तक मुगल राज्य का विस्तार किया । भारत में बाबर को सफलताएँ मिली , क्योंकिउसके पास तोप तथा बंदूक था जिसका उपयोग भारत में उस समय नहीं होता था । बाबर की मृत्यु ( 1530 ) के पश्चात उसका पुत्र हुमायूँ गद्दी पर बैठा । उसने अपने भाइयों को विभिन्न प्रांतों का शासक बनाया । उसने कई युद्ध किए । इन युद्धों में चौसा ( 1539 ) तथा कन्नौज ( 1540 ) प्रमुख हैं । इन दोनों युद्धों में शेर खाँ ( शेरशाह ) ने उसे हराया । हारने पर हुमायूँ ईरान चला गया । ईरान के शासक की सहायता से उसने 1555 में पुनः दिल्ली को जीत लिया । अगले वर्ष उसकी मृत्यु हो गई । अकबर तीसरा महान मुगल बादशाह था । 13 वर्ष की आयु में बैरम खाँ के संरक्षण में वह गद्दी पर बैठा । 17 वर्ष के होने पर उसने शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली । उसने भारत में मुगल साम्राज्य का काफी विस्तार किया । उसने कई अफगान तथा उजबेग सरदारों को हराया । 

                                           शिवाजी एक महान शासक

                                              


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