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भारतीय हाथी Indian Elephant

                                                          

     भारतीय हाथी      




 वनों में पाया जानेवाला हाथी एक प्रमुख जंतु है । इसका शरीर विशालकाय होता है । ये वृक्षों की पत्तियाँ , टहनियाँ , फल तथा छाल खाते हैं । इनमें एक लंबा सूंढ़  पाया जाता है जो अनेकों काम करता है । सूंड के अग्रभाग पर नासाछिद्र ( nostril ) होता है जिससे यह श्वसन का कार्य करता है । 

                                                     






इसकी घ्राण - शक्ति तीव्र होती है । वृक्षों की शाखाओं को तोड़ने , किसी वस्तु को उठाने तथा जल के चूषण में सूंड काफी मदद करता है । गर्मी के दिनों में शरीर को ठंडा रखने के लिए ये सूंड से पानी भरकर शरीर पर फब्बारे के रूप में छिड़काव करते हैं । हाथी अपने गजदंत ( tusk ) की मदद से वृक्षों की छाल को चीर डालता है जिसे वह भोजन के रूप में इस्तेमाल करता है । यह उसकी सुरक्षा भी करता है ।

                                             



 हाथी के बड़े - बड़े कान होते हैं जिसकी मदद से वह काफी कम आवृत्ति वाली ध्वनि को भी ग्रहण कर लेता है । मक्खी आदि भगाने तथा गर्मी कम करने के लिए ये अपने कानों को हिलाते - डुलाते हैं । एक हाथी दिन के सोलह से अट्ठारह घण्टे खाना खाते हुष्ट बिताता है । एक पूर्ण विकसित हाथी प्रत्येक दिन 137 किग्रा से अधिक खाना खा सकता है । हाथी शाकाहारी पशु है । वे पत्तियों , कोमल डण्ठल , जंगली झाड़ियों और पेड़ों के फलों को खा जाते हैं । भारतीय हाथी बाँस के पौधे खाना पसन्द करते हैं । हाथी भोजन और पानी के लिए खोदने तथा पेड़ों की खाल चीरकर अलग करने के लिए अपने दाँतों का उपयोग करते हैं । वे अपनी सूइ का उपयोग भोजन को अपने मुंह में रखने के लिए करते हैं । हाथी किसी पेड़ को इतना झुका सकता है कि उसका बच्चा उसकी पत्तियों खा सके । एक वयस्क हाथी एक दिन में 18 से 26 गैलन पानी पी सकता है ।


                                                                


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