नई दिल्ली का निर्माण Construction of New Delhi पुरानी दिल्ली के निकट रायसीना पहाड़ी पर खाली क्षेत्र में अँगरेजो ने नई दिल्ली का निर्माण किया । इस शहर का निर्माण आधुनिक पद्धति से किया गया । सँकरी गलियों और घनी बस्तियों के स्थान पर चौड़ी सड़के , खुले और विशाल परिसरवाली बड़ी - बड़ी इमारतें बनाई गई । सफाई तथा स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया । गंदगी के निष्कासन तथा जलापूर्ति की व्यवस्था की गई । सुंदरता के लिए बड़े - बड़े वृक्ष लगाए गए एवं पार्क और घास के मैदान तथा फव्वारे बनाए गए । इन व्यवस्थाओं से अँगरेजो ने अपने लिए एक स्वास्थ्यकर परिवेश का प्रबंध किया । नए शहर में अनेक चर्च , डाकघर और पुलिस थाने बनाए गए । कनॉट प्लेस नामक मुख्य बाजार पुरानी और नई दिल्ली के बीच बनाया गया । जगह - जगह पर इंगलैंड के विभिन्न राजा , रानी और भारतीय वायसरायों की बड़ी - बड़ी प्रतिमाएँ स्थापित की गई । इंडिया गेट ( India Gate ) नाम से एक युद्ध स्मारक बनाया गया । इसके सामने चौड़ी सड़क बनाई गई जिसे आज राजपथ कहा जाता है । गणतंत्र दिवस ( 26 जनवरी ) पर इस पथ से रंगबिरंगी झाँकियाँ निकाली जाती हैं जिसे देश - विदेश के लोग देखने आते हैं । नई दिल्ली में ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों के रहने के लिए भव्य इमारतें बनाई गईं । आज का विशाल राष्ट्रपति भवन उस समय वायसराय का महल था । इसके दोनों ओर सचिवालय के दो राष्ट्रपति भवन खंडो - नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक का बनाया गया । ससद भवन तथा अन्य भवनों का भी निर्माण किया गया । इन इमारतों को बनाने में भारतीय और पाश्चात्य शैली अपनाई गई । भारतीय शैली में हिंदू , बौद्ध और मुस्लिम तीनों शैलियों का प्रयोग किया गया । नई दिल्ली का निर्माण सुनियोजित तरीके से किया गया । इसका निर्माण एडवर्ड लटयंस और हर्बर्ट बेकर नामक दो वास्तुकारों के द्वारा किया गया । इसके निर्माण में लगभग बीस वर्ष लगे । इस तरह , नई दिल्ली शहर अस्तित्व में आया । परंतु , सरकार ने पुरानी दिल्ली में कोई बदलाव नहीं किया । 1888 में रॉबर्ट क्लार्क ने यहाँ के अतिसंकुल क्षेत्र में सुधार के लिए लाहौर गेट सुधार योजना ( Lahore Gate Improvement Scheme ) तैयार की । इसमें सभी नगरीय सुविधाएँ - जलापूर्ति , नाली का प्रबंध , नए घरों का निर्माण , चौड़ी सड़कें , रेलवे , ट्राम , बस की सुविधा आदि उपलब्ध कराने की कल्पना की गई थी , परंतु इसको सही तरीके से कार्यान्वित नहीं किया गया । एक अन्य योजना 1936 के दिल्ली सुधार ट्रस्ट ( Delhi Improvement Trust ) द्वारा दरियागंज दक्षिण जैसे इलाके में धनी वर्ग के लिए एक समान के मकान बनाए गए । इन मकानों के सामने घेरेदार पार्क भी बनाए गए । मध्यवर्गीय लोगों के लिए वेस्टर्न एक्स्टेशन स्कीम के अनुसार रिहायशी आवासों की व्यवस्था की गई । व्यापारिक क्षेत्रों को फैज बाजार स्कीम के तहत विकसित किया गया । नई दिल्ली में ब्रिटिश सरकार ने कई समारोह आयोजित किए । 1877 में इंगलैंड की महारानी विक्टोरिया के भारत की साम्राज्ञी घोषित किए जाने पर एक भव्य दरबार का आयोजन किया गया । संभवतः , इस आयोजन का उद्देश्य भारतीयों के मन से मुगल बादशाह की महत्ता को समाप्त करना भी था । 1911 में कलकत्ता के स्थान पर दिल्ली को राजधानी बनाने का निश्चय किया गया । इसकी घोषणा दिल्ली दरबार ( 1911 ) में की गई । यह दरबार जॉर्ज पंचम के इंगलैंड के राजा बनने पर आयोजित किया गया था । स्वतंत्रता के पश्चात दिल्ली की स्थिति -1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली । साथ ही , इसका विभाजन भी कर दिया गया । पाकिस्तान के निर्माण से दिल्ली में फिर से बदलाव आया । विभाजन के कारण हुए दंगों में दिल्ली में भारी संख्या में लोग मारे गए और उनके घर - बार लूट लिए गए । दूसरी तरफ पाकिस्तान से अनेक हिंदू और पंजाबी भारत आ गए और अधिकांश ने सरकार द्वारा स्थापित शरणार्थी शिविरों में शरण लिया । कइयों ने मुसलमानों द्वारा छोड़े गए मकानों पर कब्जा कर लिया । कई लोग दिल्ली के आस - पास बस गए । कइयों ने गुरुद्वारा , विद्यालय , सैनिक छावनी , बाग - बागीचा या फुटपाथों को अपना घर बना लिया । इन सबसे दिल्ली की आबादी बढ़ गई और अनेक बस्तियाँ बस गईं । लाजपतनगर और तिलकनगर जैसी बस्तियाँ इसी समय बसी थीं । दिल्ली में आनेवालों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दुकानें और स्टॉल खुल गए । नए स्कूल एवं कॉलेज भी खुले । पाकिस्तान से आए कई जमींदार , वकील , शिक्षक , व्यापारी आदि दिल्ली में शरणार्थी के तौर पर आए थे और यहाँ आने पर उन्होंने अन्य रोजगार को अपनाया था । इनकी आबादी बढ़ने और रोजगार में बदलाव से दिल्ली की संस्कृति में एक बार फिर अनेक परिवर्तन हुए । बढ़ती आबादी से उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए भारत सरकार ने नए इलाकों का विकास किया । मालवीयनगर , लाजपतनगर , राजेंद्रनगर , तिलकनगर में सड़कें , जलापूर्ति , बिजली , जल निष्कासन , विद्यालय , महाविद्यालय , बाजार , पानी सविधाएँ उपलब्ध कराई गई । लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल |
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