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लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल Iron Man Sardar Ballabh Bhai Patel

लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल   Iron Man Sardar Ballabh Bhai Patel                                        


  

जनसेवा व त्याग भावना के बलबूते पर बल्लभ भाई पटेल अहमदाबाद म्यूनिसिपैलिटी के चेयरमैन चुन  लिए गए . बोरसद सत्याग्रह , नागपुर का झण्डा सत्याग्रह , बारडोली ताल्लुका सत्याग्रह तथा गुजरात  की बाढ़ के समय पटेल की अनुपम सेवाएँ तथा रचनात्मक योगदान अविस्मरणीय रहेगा . उनके ट्रेड यूनियन से सम्बद्ध सुधार एवं आन्दोलन भी एक नई - दिशा बोध के प्रतीक थे . 1930 से 1933 तक के अनवरत आन्दोलनों में दक्षिण भारत की कमाण्ड पटेल के हाथ में ही रही . बारडोली सत्याग्रह के समय उन्होंने 75 गाँवों के प्रतिनिधि - किसानों की सभा को सम्बोधित करते हुए कहा - देखो भाई ! सरकार के पास निर्दयी आदमी हैं . खुले हुए भाले - बन्दूकें हैं , तोपें हैं . वह संसार की एक बड़ी शक्ति है . तुम्हारे पास केवल तुम्हारा हृदय है , अपनी छाती पर इन प्रहारों को सहने का साहस तुम में हो तो | आगे बढ़ने की बात सोचो . अपमानित होकर जीने की अपेक्षा सम्मान के साथ मर मिटने में अधिक शोभा है . इसी प्रकार बल्लभ भाई अनपढ़ लोगों को सामयिक वस्तु - स्थिति का बोध कराते हुए उनकी हौसला आफ जाई | करते रहते थे . बारडोली सत्याग्रह से पूर्व उन्होंने एक मार्मिक पत्र गर्वनर को भी लिखा था , जिसका कोई प्रत्युत्तर नहीं प्राप्त हुआ , अतः अब सत्याग्रह के अतिरिक्त और कोई चारा ही नहीं था . कांग्रेस केन्द्रीय पार्लियामेंटरी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में सरदार पटेल ने , न केवल आठ प्रान्तों के शासन पर सतर्क दृष्टि रखी , बल्कि उनकी सभी समस्याओं को सुलझाया भी . यह उनके कुशल प्रशासक होने का साक्ष्य था . द्वितीय महायुद्ध छिड़ने पर 16 अक्टूबर को वायसराय ने घोषणा की कि ब्रिटेन का उद्देश्य भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य देना है . युद्ध समाप्त होने पर 1935 के | गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया एक्ट में सभी सम्प्रदायों तथा निहित स्वार्थग्रस्तों के परामर्श से वांछित | संशोधन कर दिया जाएगा . अब अपना मामला देशी राज्यों के साथ तय करो . इस पर सरदार पटेल की गम्भीर प्रतिक्रिया रही - हमसे पूछा जाता है कि क्या हम स्वतन्त्रता मतभेद समाप्त करें , किन्तु हम जानते हैं कि उनके साथ मामला तय करते ही हमसे कहा जाएगा कि उनके मुस्लिम लीगी मुसलमानों के प्रति सन्देह और अविश्वास की शिकायत जब गांधी जी से की गई थी तो गांधी ने बल्लभ जी के बारे में विचार प्रकट किए थे - सरदार सीधी बात बोलने वाले । हैं.वह बोलते हैं तो कड़वी लगती हैं पर दिल के साफ है. सरदार पटेल उद्देश्य के प्रति स्थिर लक्ष्य , संगठन कार्य में अप्रतिम , अपने आदर्शों के प्रति अटल थे . उनके चट्टानी व्यक्तित्व से प्रभावित होकर तुलना की जाती है . लोगों ने उन्हें लौह पुरुष ' कहा . उनकी तुलना महान राजनीतिज्ञ मैकियावेली तथा बिस्मार्क से महात्मा गांधी ने जब पूरी शक्ति से ' अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन चलाने का निश्चय किया तो पटेल ने अहमदाबाद में एक लाख जन - समूह के सामने लोकल बोर्ड के मैदान में इस आन्दोलन की रूपरेखा समझाई . उन्होंने पत्रकार परिषद् में कहा , ' ऐसा समय फिर नहीं आएगा . आप मन में भय न रखे . चौपाटी पर दिए भाषण में कहा- आपको यही समझकर यह लड़ाई छेड़नी है कि महात्मा गांधी और नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाएगा तो आप न भूलें कि आपके हाथ में ऐसी | शक्ति है कि 24 घण्टे में ब्रिटिश सरकार का शासन खत्म हो जाएगा . ' जिन दिनों गांधी , नेहरू , पटेल जैसे कांग्रेस के बड़े नेतागण कारावास में थे , उन्हीं दिनों बंगाल में भीषण अकाल पड़ा जिसमें लाखों स्त्री - पुरुष - बच्चे , कीड़े - मकोड़ों की तरह भूख से मर गए  । समाचार - पत्र द्वारा भाण्डा फूट गया तो , कांग्रेस ने इस अमानवीय काण्ड की तीव्र भर्त्सना की और सरकार को संसार के सामने लज्जित किया .

                               

                     दक्षिण अफ्रीका की घटना ने महात्मा गाँधी को सत्याग्रही बना दिया

                                                             


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