Ad Code

Responsive Advertisement

वैदिक साहित्य भारत का सबसे प्राचीन साहित्य Vedic literature is the oldest literature of India

                               वैदिक साहित्य भारत का सबसे प्राचीन साहित्य Vedic literature is the oldest literature of India 

                                                               


 वैदिक साहित्य भारत का सबसे प्राचीन साहित्य है । इससे अतीत की जानकारी मिलती है । वेद चार है - ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद,अथर्ववेद  ऋग्वेद सभी वेदों  में प्राचीन है । इसमें एक हजार से आधक प्रार्थनाएं हैं । इंद्र , अग्नि , सोम तथा अन्य देवी - देवताओं के सम्मान में प्रार्थनाएँ हैं  । पुराण , रामायण एवं महाभारत भी प्राधीन गंध है । वैदिक साहित्य को रचना लगभग 3.500 वर्ष पूर्व ऋषियों  द्वारा संस्कृत में की गई । वैदिक संस्कृत वर्तमान संस्कृत से भिन्न है ।  ये लिखित नहीं थी । इनको अच्छी तरह बोलकर ऋषियों  ने अपने शिष्यों को कंठस्थ कराया था । अच्छी तरह उच्चारण के द्वारा सिखा को सूक्त कहा जाता है । पुरुषों के साथ कुछ महिलाओं ने भी इन सूक्तों की रचना की थी । ऋग्वेद की पांडुलिपि पूर्ण वृक्ष की छाल पर लिखी कश्मीर में मिली थी । आज यह पुणे के एक पुस्तकालय में रखी हुई है । इसको लगभग 150 वर्ष पूर्व छापा गया । इसका अंगरेजी में अनुवाद किया गया । कई संस्कृत शब्द विभिन्न यूरोपीय भाषाओं से मिलते - जुलते है । आयों ने इस गाहित्य की रचना की थी । वे बाहर से आकर उत्तर भारत में बस गए थे । आर्यों के राजा भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा है । आर्यों के काल को वैदिक काल कहा जाता है । यह काल पूर्व तथा उत्तर वैदिक कालों में बँटा हुआ है । पूर्व वैदिक काल में लोग सप्तसिंधु ( आज के पंजाब व हरियाणा ) क्षेत्र में सिंधु , झेलम , चेनाब , रावी , ब्यास , सतलज तथा सरस्वती ( जो आज लुप्त हो  गई है ) नदियों के किनारे रहते थे । लोग कई जन या विश् ( जातियों ) में बँटे हुए थे । प्रत्येक जाति अधिक मवेशियों पुत्रों तथा घोड़ों की रक्षा करते थे  । इन तीनों की प्राप्ति के लिए ऋग्वेद में कई प्रार्थनाएँ हैं । पूर्व वैदिक काल में प्रत्येक जाति का पुरुष वर्ग नए क्षेत्र , चरागाह , मवेशियों तथा घोड़ों के लिए युद्ध करता था । • इस काल में सभा तथा समिति दो संगठन थे । सभा में राजा , सेनापति , पुरोहित तथा गाँव का मुखिया सदस्य होते थे । राजा सभा से महत्त्वपूर्ण । विषयों पर विचार करता था । समिति साधारण लोगों का संगठन थी । समिति से भी राजा सलाह लेता था । समिति के लोग कुशल योद्धा को विश् का सरदार बनाते थे । . • विश् का सरदार राजन या राजा कहलाता था । अपने क्षेत्र की रक्षा , शांति बनाए रखना तथा धार्मिक अनुष्ठान करना राजा के प्रमुख कार्य थे । परंतु , उसके पास महल , राजधानी और सेना नहीं होते थे । वह कर नहीं लेता था । युद्ध से प्राप्त धन राजा , पुरोहित तथा साधारण लोगों में बाँटा जाता था । कुछ धन धार्मिक अनुष्ठान और यज्ञ में खर्च किया जाता था । • इस काल में ज्येष्ठ पुरुष परिवार का मुखिया होता था । स्त्रियों को सम्मान दिया जाता था । वे कई तरह के कार्य कर सकती थीं । आर्य लोग जीते हुए लोगों को दास या दस्यु कहते थे । ये साँवले होते थे और भारत के मूल निवासी थे । ऋग्वैदिक समाज का वर्गीकरण परिवार , भाषा , व्यवसाय तथा सांस्कृतिक परंपरा पर किया गया था ।
                 

                 दक्षिण अफ्रीका की घटना ने महात्मा गाँधी को सत्याग्रही बना दिया

                 

                    उपनिषद: भारतीय आचार संहिता

                                                    

Reactions

Post a Comment

0 Comments